To day world Poetry Day...Thanks to bring me here.
चले आये आपका प्यार थामे पीछे पीछे...
कही एक कलाम हाथो में वसन्त ले आया
मेरे गीतों में उन्माद छाया धीरे धीरे ...
फैली नस नस में बनके लहू शब्दों की आभा
मेरी धमनियों में रक्तिम बह रहा होलै होलै...
चारो और खिलती गई उगते सूरज सी रोशनी
आने लगा कविता में भी निखार जरा जरा ..
रेखा ..
रेखा ..
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