हर ख्वाईसे मौनकी कै़द में सुकून से रही होगी,
तभी तो किसी के होने की ख़ुश्बू आती है .
आज रातभी बड़ी सिद्द्तसे से सुलग रही होगी,
तभी तो कही से लोबान की ख़ुश्बू आती है.
...
हरेक शय नजरोको धुँधला सा नजर आता है,
धुआँ है हरतरफ कहीं आग जल रही होगी.
रातने जिन ख़्वाब को अधुरा छोड़ दिया होगा
अधूरे ख़्वाब को सुबह की आश रही होगी,
रूह को मौत नहीं आती वो टहल रही होगी
उसी मेहमान की आज यही ख़ुश्बू रही होगी.....
रेखा
तभी तो किसी के होने की ख़ुश्बू आती है .
आज रातभी बड़ी सिद्द्तसे से सुलग रही होगी,
तभी तो कही से लोबान की ख़ुश्बू आती है.
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हरेक शय नजरोको धुँधला सा नजर आता है,
धुआँ है हरतरफ कहीं आग जल रही होगी.
रातने जिन ख़्वाब को अधुरा छोड़ दिया होगा
अधूरे ख़्वाब को सुबह की आश रही होगी,
रूह को मौत नहीं आती वो टहल रही होगी
उसी मेहमान की आज यही ख़ुश्बू रही होगी.....
रेखा
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