चलते है साथ मेरे वो उनकी मेहरबानियाँ हैं
चाहत की धूप में कुछ तो जरुर परेशानियाँ हैं
झुकी पलको से वो हर सितम कर जाती है,
मखमली नज़रो में जमाने भर की नादानियाँ हैं
उनके वास्ते ढाई अक्षरों से लिखा जहां है,
लहू के हर कतरे मे यहाँ बहेती कुर्बांनियाँ हैं
किसी की जान को पलपल ख़तरा रहेता है,
उनके हर तरफ खिलती नौजवानियाँ हैं.
अध खुले होठो की फैली हुई आत्ंकीय़ा है,
यहा टूटते शायरो की बसती ज़िन्दगियाँ है.
रेखा पटेल ..
चाहत की धूप में कुछ तो जरुर परेशानियाँ हैं
झुकी पलको से वो हर सितम कर जाती है,
मखमली नज़रो में जमाने भर की नादानियाँ हैं
उनके वास्ते ढाई अक्षरों से लिखा जहां है,
लहू के हर कतरे मे यहाँ बहेती कुर्बांनियाँ हैं
किसी की जान को पलपल ख़तरा रहेता है,
उनके हर तरफ खिलती नौजवानियाँ हैं.
अध खुले होठो की फैली हुई आत्ंकीय़ा है,
यहा टूटते शायरो की बसती ज़िन्दगियाँ है.
रेखा पटेल ..
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