तुम, चंदन वनसे बहकर आया एक हवा का झोका हो ,
तुम, चांद-डोरी से बंधा जीवन का एक सुहाना पलना हो ,
तुम,नीले आसमान से उतरा एक अख़लाक़ पुजारी हो ,
तुम, मन मंदिर के आगन में बरसी दुआ की बदली हो,
तुम तपती सूस्क
दिलकी जमीन पर छनकर झरती बूंदें हो.
तुम इन्सान के
रुपमे घरती पे उतारा फ़रिश्ते का साया हो ,
तुम, रंगीन सोलह साल की पहली नादान रूहाइ प्रीत हो ,
तुम भरी आंखों से
छलछल आई शीतल जल की धारा हो
तुम " विनोद
हो " मेरे दिल का खिल उठता उजियारा हो,
तुम मेरे नाम की
खुमारी हो मेरे जीने एक कारन मात्र हो
.रेखा पटेल ♥
.रेखा पटेल ♥
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