Thursday, March 8, 2012

कोइ एक गज़ल..





चलो आज कोइ गज़ल उसके नाम हो जाये,
आज फिर कही लिखते लिखते शाम हो जाये....
कर रहे है इंतजार कबसे उनके एक ज़लक का,
डर है इंतजार में जीवन की शाम ना हो जाये....
नहीं लेते उनका नाम सरेआम इसी डर से,
डरते है कही नाम उनका बदनाम ना हो जाये....


मागते है एक ही दुआ वो जबभी याद आते है,
खुदा मेरे प्यार का अंजाम बुरा ना हो जाये...
सोचते है अकसर बैठकर तनहाई में अकेले,
उसके दिलमे किसी और का मुकाम ना हो जाये...
वैसे तो नाज़ है हमें अपनी मोहबत पर भी,
कही बेदर्द ज़माना प्यार पर हावी ना हो जाये...
रेखा पटेल ..

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