Thursday, August 9, 2012

ज़िंदगी तुम रोज़ बदलती हो.


ज़िंदगी तुम रोज़ बदलती हो .
कभी बनके रंगीन ख़्वाब आँखों से छलकती हो
कभी बनके रंगहीन आंसु आंखो से ठलकती हो.

ज़िंदगी तुम रोज़ बदलती हो.
कभी चहेरे पर अल्हड़पन की अठखेलियाँ हो.
कभी कंपते हाथों बनकर बुढापा फिसलती हो..

ज़िंदगी तुम रोज़ बदलती हो.
कभी तुम हसी मज़ाक में घुंलकर हसती हो
कभी तुम पी कर शराब बेहिसाब बहेकती हो 

ज़िंदगी तुम रोज़ बदलती हो.
बीन पहिया तुम रोज मेरे साथ चलती हो
तुम समय के सागर संग अविरत बहेती हो.
तुम रोज़ बदलती हो ...
रेखा

2 comments:

Jaymini said...

It's great and true i really like it.

Jaymini said...

It's great and true. I like it.