फूलों की आरजू में बडी फूली-फली ये मेरी ग़ज़ल,
फैलाके सुगंघ सब को मस्त कर गई ये मेरी ग़ज़ल.
तन्हाई के आलममे फूलों को सुनाई ये मेरी ग़ज़ल,
उनकी पनाह में खुब चुलबुली बन गई ये मेरी ग़ज़ल.
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फैलाके सुगंघ सब को मस्त कर गई ये मेरी ग़ज़ल.
तन्हाई के आलममे फूलों को सुनाई ये मेरी ग़ज़ल,
उनकी पनाह में खुब चुलबुली बन गई ये मेरी ग़ज़ल.
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चाहे दर्द मिले या खुशी खीले चहेकती ये मेरी गजल,
ईस छोटी सी जान मे जान फूँकती ये मेरी गजल.
रेखा (सखी)
ईस छोटी सी जान मे जान फूँकती ये मेरी गजल.
रेखा (सखी)
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