Wednesday, April 11, 2012

प्यार रुहानी होता है;

क्या सच मे पहेली नजर का प्यार है ?
पहली नजर में प्यार कभी हो ही नहीं सकता, वह तो एक आकर्षण मात्र है,
जैसे दोस्ती अचानक नहीं हो सकती, वैसे ही प्यार भी अचानक नहीं हो सकता।
पहले एक अनजानी सी पहचान, फिर दो मीठी बातें और मुलाकातें. इस दौरान जो तुम दोनों को नजदीक लेकर आता है
वह प्यार है. जो एक दुसरे पर भरोसा दीलाता है वो प्यार है..
कुछ लोग सोचते हैं कि अगर मेरी शादी मेरे प्यार से हो जाए तो मेरा प्यार सफल, नहीं तो असफल.
ये धारणा मेरी नजर से तो बिल्कुल गलत है, क्योंकि प्यार तो नि:स्वार्थ है, जबकि शरीर को पाना तो एक स्वार्थ है.
इसका मतलब तो ये हुआ कि आज तक जो किया एक दूसरे के लिए वो सिर्फ उस शरीर तक पहुँचने की चाह थी.
प्यार को बंधन मे बाधने की आस थी.
मेरी नजर में तो प्यार यह भी है,जो एक माँ और बेटे की बीच में होता है, जो एक बहन और भाई के बीच होता है,
प्यार रुहानी होता है,.
सच तो यह है कि प्यार तो रूहों का रिश्ता है, उसका जिस्म से कोई लेना देना ही नहीं,
प्यार कभी सुंदरता देखकर हो ही नहीं सकता, अगर होता है तो वह केवल आकर्षण है, वो प्यार नहीं।
माँ हमेशा अपने बच्चे से प्यार करती है, वो कितना भी बदसूरत क्यों न हो, क्योंकि माँ की आँखों में वह हमेशा ही दुनिया का सबसे खूबसूरत बच्चा होता है.
प्यार तो वो जादू है, जो मिट्टी को भी सोना बना देता है. प्यार वो रिश्ता है, जो हर पल चैन देता है, कभी बेचैन नहीं करता,
अगर कुछ बेचैन करता है तो वो शरीर को पाने का स्वभाव.
जिन्होंने प्यार के रिश्ते को जिस्मानी रिश्तों में ढाल दिया, उन्होंने असल में प्यार का असली सुख गँवा दिया.
जिन्होंने प्यार को हमेशा रूह का रिश्ता बनाकर रखा,वो हरपल अपने प्यार को महेसुस करते है,
वो साथी साथ रहे ना रहे फिरभी हमेसा उसे वो अपने साथ महेसुस करता है, उनके सुख दुख को वो अपने आप मे महेसुस करते है.
कई सालों बाद भी अपने प्यार को निहारना उनको अच्छा लगता है.कोइ फर्क नहीं पड़ता के उसके चहेरे पर वो जुरिया हो या बाको में सफेदी हो.
रूहानी प्यार कभी खत्म नहीं होता. वो हमेशा हमारे साथ कदम दर कदम चलता है.
वो दूर रहकर भी हमको खुसी देता है.. बडे खुसनसीब होते है वो जिनको एसा प्यार मीलता है.
बस मेरी सोचमे यही प्यार है.. दोस्तो आप सब अपनी सोच यहा लीख सकते हो..
Thank you. रेखा..

3 comments:

Anonymous said...

ચાહત શું છે ઓ માનવી તારે મન,
મનમંદિરમાં મૂર્તિ રાખી છે તારી,
દિલમાં સાચવી છે એક તસવીર તારી,
વહાણા વીતે છે દિવસોના દિવસોના,

વાળ મારા ઉતરી ગયાં બેપનાહ ચાહતમાં,
તારી લટૉમા પણ સફેદી દેખાય આવી છે,
કેમ કરીને મનાવું મનનાં ખ્યાલોને અને
કેમ કરીને સમજાવું દિલમાં ઉઠતાં તરંગોને,

હજુ પણ ગુંજે છે એ ગીતોના શબ્દો તારી
યાદોની સંગીતમય સુરાવલી બનીને,
હજું પણ અરમાની ભાવો ઉપસે છે મનમાં
ઉડતા પાલવોમાં આભાસી ખ્વાબ લહેરાય છે,

ચાહતની પરિસિમા અને પરિમાણનું માપ ક્યાં છે,
ચાહત મારી છે એક અનંત જિવન યાત્રા…

(નરેશ કે.ડૉડીયા)

Ashutosh said...

Dear Rekha,
Its really a nice experience to read this.

Unknown said...

Thanks NKD
Thanks ashutosh ji