तुम नीम के साए में बैठते हो तो ...
नीम भी बताशे बाटती है.
मेरी जुबान पर तुम अपनी नाजुक उंगलीओ से,
नीमकी पत्ती रखती हो तो...
बताशे का स्वाद भी उसी के साथ चला आता है.
मुह भर जाता है मेरा मिश्री की मीठी मिठास से...
काश! हमारे रिश्तों में ये 'नीम के बताशे 'हमेसा बाँटने रहे .
रेखा.
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