Thursday, April 12, 2012

मनमंदिर में बनके ईश्वर सजता है

नाम कोई भी रखलो ये दिल उसे परमानंद कहेता हैं
उसके नाम में प्रेम भी है गीत भी,परम आनंद भी है.

आज बताती जाती हूँ तुमको ये दिल जो कहेता है.
समजलो दिल के नज़दीक उनका आना जाना है

बनके जान दिलमे बसता हैं दिल प्राणेस्वर कहेता है
एक ही कूचेमे वो प्राण बनके मेरे संग संग रहता है,

रहता हरवक्त तुम्हारा ख्याल यूँ ख़्वाब सजते रहेते है.
ना बंधन कोई सपनो पे दुनिया अपनी बसती रहेती है.

मैं उसे प्यार अपना, जान अपनी हर्दयेस्वर कहेती हूँ
उसका नाम मेरे मनमंदिर में बनके ईश्वर सजता है
रेखा.

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