Sunday, September 9, 2012

फुलोके पास मत जाना.

तुम्हारे बगैर में, मैं नहीं होता,
में मेरा आईना बहुत बातें करते है,
सारी बातों में तुम्हारा जिक्र रहता है..
कितनी सारी बातें तुझसे कहेनी है,
पर तुझसे मिलके चुप हो जाता हु.
सोचता हु में तो बेचैन हु,
तुम्हे क्यों बेचैन करू ?
किंतु प्यार मेरा तुमको कैसे बतलाऊ
दूर कही....
एकांत में उगे फूलों को देखता हु
अब मैं उससे कहूंगा
तुमसे प्यार करता हूं मैं..
अब न तू बेचैन रहेगा.
और न गुजरेगे तुज पर भारी पल
मैंने प्यार किया है तुमको,
बिना कोई आस...
बस अब तुम ,
फुलोके पास मत जाना.
कही बता न दे तुमको ,
प्यार करता हूं मैं..
रेखा (सखी )
 

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