શમણાં ની સુવાસ
રેખા પટેલ નો બ્લોગ
Sunday, September 9, 2012
हमें ही खबर नहीं.
तेरी उल्फ़त में जीते जी मारे गए हम ,
हमें ही खबर नहीं.
बस गयी दिलकी बस्ती रौशन हो गए,
हमें ही खबर नहीं.
बहेती घारा थे प्रेम का दरिया बन गए,
हमें ही खबर नहीं.
रास्ते की आम घुल थे अनमोल बन गए,
हमें ही खबर नहीं.
रेखा (सखी)
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