Thursday, May 17, 2012

अभी ना जाओ तुम

अभी ना जाओ तुम जान में जान बाकी है
सुनने सुनाने को पूरा इतिहास बाकी है.

हम भी जीते थे कुछ बहोत शान से
अभी मदिरा सा ढुलकाता नशा बाकी है.

महक उठीथी सारी फिजा जो नाम से..
फिर वही मकाम से गुजरना बाकी है.

आज रखलो फीर हाथो मे अपना हाथ,
सब रस्मो-रिवाज से निपटना बाकी है

अब लगता है डर हमें जुदाई के नाम से,
अभी शांति के सुने पथ पर जाना बाकी है.
रेखा
( शांति पथ- मौत की आगोस

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