किसने कहे दिया फुलोसे ही गुलदस्ता बनता है
सलीके से तराशे तो पत्थर भी सुन्दर लगता है.
जब अपनो का साथ हो हर दर्द दवा बनती है
दिलमें भरा हो प्यार तो घर खुदाका लगता है
ग़मों से निढाल दिलमे प्यारसे हौसला बढ़ता है
तुम्हारे आने से आलम सारा बदला लगता है
जहान भरकी भले ही हमने की शेरो सायरी है
एक तेरे गुनगुनाने से हर बोल ग़ज़ल लगती है
रेखा (सखी ) 10/23/12
1 comment:
Very nice poem.
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