एक वहेम था हमें सायद कभी मिलोगे तुम
भूलकर सब रस्मो रिवाज चले आओगे तुम
जिंदगी सूखे पत्तो का ढेर है जानते हो तुम.
फिरभी आग इश्क की इनमे लगाते हो तुम.
ख़्वाब जिन्दगी भरका जो इन आखों ने देखा,
आप बेवक्त अश्कों गिराके उन्हें घुलते हो तुम.
कुछ और तो सरकार आपको अब आता नहीं,
फिरसे जाकर इश्क में इंतजार कराते हो तुम.
रेखा (सखी ) 10/15/12
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