इकबार किसीके प्यारमें इंतज़ार करके तो देख
हदें तोड़ जमाने की, मुझ पर एतबार करके तो देख
हाल-ए-दिल बया न करे तो कोई गिला नहीं
खत में ही सही दो बाते प्यार की लिखकर तो देख
सच पूछिये तो सफ़र महोब्बत में आसान नहीं
थक जाए अगर राहों में तो हाथ बढ़ाकर तो देख
जाने क्यों सब सुनाई देता है जो तुमने कहा नहीं
एक बार साँसों की हरारत महेसुस करके तो देख
प्यार को लफ़्जों की हद में बाँधना मुमकिन नहीं
कभी मुजको ग़ालिब कभी हसरत समजकर तो देख
रेखा (सखी ) 1/16/13
No comments:
Post a Comment